Protest in Hapur: रावण दहन के विरोध में उतरा धौलाना का ब्राह्मण समाज, परंपरा रोकने के लिए पीएम, राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी
Protest of Brahmin Community: विजय दशमी यानी दशहरा के मौके पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है. लेकिन हापुड़ के धौलाना में ब्राह्मण समाज ने इस परंपरा का विरोध किया है.
Protest of Brahmin Samaj in Dhaulana: प्रत्येक वर्ष की तरह रावण दहन का विरोध उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के धौलाना में शुरू हो गया है. उत्तर प्रदेश ग्रामीण सभा व युवा ब्राह्मण शक्ति दल सहित विभिन्न ब्राह्मण सभा के संगठनों में रावण के पुतले के दहन को अनैतिक बताते हुए इसका विरोध करते हुए प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को पत्र भेजकर किया है और पुतला दहन पर रोक लगाने की मांग की है. साथ ही चेतावनी जारी की है कि, यदि जल्द ही रावण दहन की प्रक्रिया नहीं रुकती तो ब्राह्मण समाज कोर्ट में याचिका दायर करेंगे.
रावण दहन नहीं रुका तो कोर्ट में दायर करेंगे याचिका
धौलाना के ब्राह्मण समाज का कहना है कि, रावण एक विद्वान थे. आज तक पूरे विश्व पटल में उनके जैसा विद्वान पैदा नहीं हुआ. रावण ने अपनी मुक्ति पाने के लिए ही इस तरह का मार्ग मजबूरी में अपनाया था. ब्राह्मण समाज उच्च स्तर पर समाज के लोगों को जागरुक कर लंकापति रावण के पुतले की दहन पर रोक लगाने की मांग कर रहा है. यदि रावण दहन नहीं रुका तो ब्राह्मण समाज उच्च स्तर पर इसका विरोध जताते हुए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा.
रामलीला के मंचन से कोई आपत्ति नहीं
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के जिला संयोजक पण्डित के के शर्मा का कहना है कि, हमारे समाज़ की यह बड़ी विडंबना है कि, इतने अधिक विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति का पुतला फूंक कर समाज में गलत किया जाता रहा है. जबकि सच बात यही है कि रावण ने अपनी बहन का बदला लेने के लिए श्रीराम के साथ युद्ध किया था. वर्तमान समय में हमारे समाज में आज भी बहुत सारे भ्रष्टाचारी, बलात्कारी हैं उनका पुतला जलाया जाना चाहिए, ना कि विद्वान रावण का जलाना चाहिए. हम लोग इस बात का पुरजोर विरोध करते हैं कि, विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति रावण का रामलीला के बाद पुतला दहन किया जाता है. हालांकि, रामलीला के मंचन से हमें कोई आपत्ति नहीं है.
धौलाना के नंदपुर गांव निवासी पंडित सरवन कुमार शर्मा का कहना है कि, समाज में एक ज्ञानी व्यक्ति का पुतला फूंकने से गलत धारणा उत्पन्न होती है. हालांकि, रामलीला के मंचन से हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इतने ज्ञानी और विद्वान व्यक्ति रावण का पुतला दहन किया जाना गलत है, हमें इस परंपरा को अब छोड़ना चाहिए.
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